
Summary: एक छोटे गाँव में युवक की रहस्यमय गायबगी, पुरानी हवेली और काले जादू के साये में लिपटी एक अनसुलझी कहानी।
गाँव में दफन राज़: वो जो लौट कर नहीं आया…
अंधेरा धीरे-धीरे गाँव के किनारों को गले लगा रहा था। मंज़िल से सनसनीखेज खबर ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया था — एक युवक की अजीब सी गायब हो जाने की कहानी, जिसके पीछे छुपा था एक अंधेरा और गहरा रहस्य।
यह गाँव, जिसकी गलियाँ पुराने किस्सों और छुपे हुए पंथों की कहानियों से भरी थीं, अब एक ऐसे राज़ को संजोए हुए था जो किसी को समझ नहीं आता था। इस युवक, अर्जुन, की कहानी पुलिस की जांच से कहीं अधिक जटिल और डरावनी थी।
अर्जुन आखिरी बार गाँव की पुरानी हवेली के पास देखा गया था — वही हवेली जिसपर हमने बचपन में भी कई काली जादू और भयानक अनुभवों की बात सुनी थी। हवेली के अंदर गूँजती हुई एक आवाज़, एक कर्कश हंसी जिसे सुनकर ही लोग रुक-रुक कर अपनी सांसों को थाम लेते थे। हवेली के दरवाज़े पर लटकती झाड़ियाँ और दीवारों पर भद्दे निशान जब काम्प्लेक्स घटनाओं के कड़वे सच की परतें खोलने लगे।
परिवार की चिंता चरम पर थी। अर्जुन की माँ ने कई बार बताया कि उसे सपनों में कुछ अजीब चीज़ें दिखाई देती हैं — जैसे अर्जुन बंद कमरे में फंसा हो, अपने आप से लड़ रहा हो या कोई छाया उसके पीछे हो। गाँव के बुजुर्गों ने भी इस घटना को किसी काले जादू या पंथ से जोड़ना शुरू किया। वे कहते थे कि हवेली के पुराने जमाने के बाशिंदे किसी अनजानी शक्ति के नियंत्रण में थे, जिसने अर्जुन को अपने जाल में फंसा लिया।
जांच में पता चला कि अर्जुन की आखिरी बातचीत एक अज्ञात नंबर से हुई थी, जिससे फोन कटते ही उसका अस्तित्व भी धुंधला हो गया। इस बीच, हवेली के आसपास कुछ संदिग्ध गतिविधियाँ दर्ज की गईं — अचानक बिजली की झलकें, लोगों को दिखने वाले अनोखे परछाइयां, और हवा में गूंजती हुई मनहूस आवाज़ें।
साक्ष्यों के बीच कई ऐसे संकेत थे जो इस घटना को पुलिस के सामान्य जांच दायरे से बाहर ले जाते थे। कुछ दस्तावेज़ और पुराने ग्रंथ हवेली के तहखाने में मिले, जिनमें काला जादू और तंत्र-मंत्र की गांठें थीं। ये रहस्य केवल अर्जुन की मौत या गायब होने का कारण ही नहीं, बल्कि गाँव के पुराने राज़ों को भी खोलने का द्वार थे।
दिन बीतते गए, पर अर्जुन की कोई खबर नहीं मिली। गाँव में फैली अफ़वाहों ने माहौल को मतवाला किया था।
मुख्य सवाल:
- क्या अर्जुन सचमुच कोई काला जादू के फेर में फंसा था?
- या फिर ये सब कोई धोखा था — इंसानों की एक चालाक साज़िश?
शाम के सन्नाटे में, हवेली की छत से अचानक एक टकराहट की आवाज़ सुनाई दी थी। दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। एक ऐसी आवाज़ जिसने सभी के दिलों में डर और जिज्ञासा दोनों को जगाया।
इस कहानी के अनसुने पहलू अब भी खुले हैं। अर्जुन की वापसी के इंतजार में, गाँव के लोग अपने-अपने दिलों में छुपे सवालों को सँजोए बैठे हैं। क्या सच में कोई रहस्यमय शक्ति है, जो हमें देखने से रोकती है? या फिर ये सब हमारे अपने दिमाग की गहराईयों का खेल है?
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