
Summary: एक छोटे गांव में अचानक गायब हुआ युवक रमेश, काले जादू और रहस्यमय ताकतों की खबरों के बीच दफन एक गहरा राज़ खोलता है।
उस रात गांव में दफन रहस्य
सन्नाटा छाया था उस गांव पर, जहां समय मानो थम गया हो। पहाड़ों की छांव में बसा वह छोटा सा गांव, जिसकी गुमनाम गलियों में आज भी भटकती है एक अधूरी कहानी। उस रात, जब चाँद भी डर से छुप गया था, एक युवक की अचानक गुमशुदगी ने न केवल गांव का माहौल बदल दिया, बल्कि एक जादुई रहस्य की परतें खोल दीं, जो सदियों से दफन थीं।
यह कहानी जून की उस जादुई रात से शुरू होती है, जब पड़ोसी के घुड़सवार के हवाले गांव में एक विचित्र खबर फैलती है – “रमेश, जो हमेशा हंसता खेलता रहता था, आज रात वापस नहीं लौटा।” पूरे गांव में जैसे एक अजीब सी खामोशी छा गई। उसकी छोटी-सी झोपड़ी जो छाओं में छुपी थी, अब वीरान और सुनसान नजर आ रही थी।
गांव वालों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन जो मिला, वह दिल दहला देने वाला था। झोपड़ी के बाहर खून के छींटे, और अंदर एक पुरानी किताब, जिसमें काले जादू के संकेत छिपे थे। किताब के पन्ने लंबे समय से नहीं पलटे गए थे, पर उन शब्दों की गूंज अब गांव के हर कोने से सुनाई देने लगी।
वह जो रमेश के साथ हुआ, उसे समझने के लिए गांव के बुजुर्गों ने कई पुरानी कथाओं का सहारा लिया, जो काला जादू, पंथ और भयावह अनुष्ठानों से भरी थीं। गांव के बाहर एक जंगल था, जिसे लोग भूतिया मानते थे। उस रात, जंगल की ओर से रहस्यमय आवाजें आयीं, जैसे कोई गूढ़ शक्ति जाग रही हो।
जैसे-जैसे रात गहरी होती गई, उस जंगल में से निकली हुई परछाईयों ने गांव वालों के दिलों में डर की चिंगारी जगा दी।
- दरवाज़े चरमरा रहे थे
- हवाएं अनजान आवाजें सुना रही थीं
- कुछ लोगों की नजरों के सामने छायाएं अचानक गायब हो गईं
रमेश की गुमशुदगी अब मात्र एक रहस्य नहीं रह गई थी, बल्कि एक डरावनी सच्चाई बन गई थी जो हर किसी को अंदर तक हिला रही थी।
मुख्य प्रश्न:
- क्या वह सच में कहीं खो गया था?
- या वह उस किताब के काले जादू में फंसा था?
- गांव के शाश्वत रहस्य, जो दफन थे, क्या वो अब फिर से सक्रिय हो गए थे?
सवाल कई थे, पर जवाब नदारद। गांव के उन तंग और पथरीले रास्तों पर आज भी एक अजीब सी सन्नाटे वाली हवा चलती है, जो एक अनकहे खतरे का संकेत देती है।
क्या रमेश कभी वापस लौटेगा? या वह उस रहस्य का हिस्सा बन चुका है, जिसके साथ खेलने की हिम्मत किसी के पास नहीं?
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।