
शामपुर गांव की ठंडी सर्द रात में हुई एक अचानक चीख ने पूरे गांव को दहशत में डाल दिया। इस घटना से जुड़ा सबसे बड़ा रहस्य था उस युवक रघु का गायब होना, जो उस रात वापस नहीं लौटा। श्यामपुर, जहां तक सामान्य लोगों की पहचान थी, वहां अब खौफनाक और रहस्यमयी घटनाओं का दौर शुरू हो चुका था।
रघु की छोटी-छोटी आदतों में छिपा एक अनजाना भय था, जिसके कारण वह अक्सर अकेले होकर गहरे जंगलों में चला जाता था, जहां असामान्य शोर सुनाई देते थे। उसी रात, वह गांव की पुरानी हवेली की ओर निकला, जो वर्षों से वीरान थी और यहां काला जादू व पंथीय क्रियाओं का केंद्र माना जाता था।
कुछ युवकों ने हवेली के बाहर रहस्यमयी निशानियां पाईं, जो किसी प्रतीक को उकेरने जैसा था। हवेली के अंदर मिले दस्तावेज़ और प्राचीन पृष्ठों से पता चला कि वहां काली शक्तियों के जादू के संकेत छिपे हैं जो एक खौफनाक सत्य को उद्घाटित करते हैं।
गांव में फैली अफवाहों ने माहौल को और भयावह बना दिया; किसी ने कहा कि रघु स्वयं काली शक्तियों में लिप्त हो गया, तो किसी ने माना कि वह कहीं अंधेरे में दफन हो चुका है। पुलिस जांच भी बिना ठोस सुराग के असफल रही।
रघु के करीबी के शब्द थे, “कुछ राज़ ऐसे होते हैं जो जानना मनुष्य के लिए आत्मघाती होता है,” जो इस रहस्यमयी कथा की गुत्थियों को और गहरा कर देते हैं।
आज भी गांव के बच्चे उस हवेली के पास जाने से डरते हैं, जबकि उनकी आँखों में छुपी जिज्ञासा अनकहे सच की ओर इशारा करती है। इस कहानी में धोखा, काला जादू, और मनोवैज्ञानिक तनाव ऐसी गहराई से बुने गए हैं कि हर कदम पर नये प्रश्न उठते हैं।
क्या रघु की कहानी सच में समाप्त हो गई है, या वह कहीं गहरे साये में अब भी जीवित है? यह सवाल गांव के लोगों के समक्ष आज भी बना हुआ है।
सारांश
श्यामपुर गांव में गायब हुए युवक रघु की रहस्यमयी कहानी, उस गांव की पुरानी हवेली से जुड़े काले जादू के अनसुलझे राज़ों और गांव में फैली अफवाहों की दहशत को बयान करती है। कहानी धोखे, काले जादू और मनोवैज्ञानिक तनाव से भरी हुई है, जो एक गहरे और भयावह सत्य की तरफ संकेत करती है।