
धुंधलाते सूरज की आखिरी किरणें जब पहाड़ी की चोटी से लुढ़क कर घाटी में जा गिरीं, तो उस छोटे से गांव में एक सन्नाटा छा गया। हवा में एक अजीब सी गंध फैली थी — मिट्टी और सड़े पत्तों के बीच कोई पुरानी भयंकर याद ज़िंदा थी। गांव के बुजुर्ग मुंह छुपाए एक-दूसरे से बात कर रहे थे कि पिछले महीने से जो सुनसान जंगल में गया था, वह वापस नहीं आया। वह लड़का था अर्जुन, उम्र बस 22 साल, जिसे गांव वाले ‘वो जो लौट कर नहीं आया’ के नाम से पुकारने लगे।
अर्जुन की अचानक गायब होने की खबर पूरे इलाके में सनसनी फैल गई, पर गांव के लोग इस गायब होने को महज एक दुर्घटना नहीं मानते थे। उनके मुताबिक, जंगल में कुछ ऐसा छिपा था जिसकी झलक पाने वाला जीवित नहीं बचता। हिंदू पौराणिक कथाओं में इस इलाके के जंगल को अशुभ माना जाता रहा है, जहां काला जादू और प्राचीन शक्तियाँ वास करती हैं।
अर्जुन के परिवार में मातम छा गया। उसके छोटे भाई दिव्यांश ने बताया कि अर्जुन गायब होने से पहले कई दिनों तक एक पुरानी गुप्त किताब पढ़ता रहा था, जो उसे गांव के ही एक रहस्यमयी बूढ़े ने दी थी। वह बूढ़ा गांव से लगभग बहिष्कृत था, और कहा जाता था कि उसके घर में ‘खूनी हवेली की गूंज’ सुनाई देती थी। अस्पष्ट हुये उस बूढ़े ने अर्जुन से कुछ गहरे राज छिपाए थे, जो शायद काला जादू और मृतकों से संवाद से जुड़ा था।
गांव के चौक पर तब कुछ अजीब चीजें देखने को मिलीं — अर्जुन के कमरे से घबराई हुई चीखें, अचानक बुझने वाली लाइटें, और भेदपूर्ण नागिन देसी दवाओं की बू। गांववालों के अनुसार, अर्जुन की अनुपस्थिति ने इलाके में एक दहशत की ख़बर फैला दी। फिर तो रात होते ही जंगल की ओर कोई भी नहीं जाता था, और जिन्होंने जाने की हिम्मत की, वे कभी वापस लौट कर नहीं आए।
जैसे-जैसे कहानी गहराई में घुसी, पता चला कि अर्जुन ने अपनी अंतिम बातचीत में कहा था, “मैं जंगल के काले कुएं तक जा रहा हूँ। मगर क्या होगा अगर वहां जो कुछ भी है, वह मुझे अपने साथ बर्बाद कर दे?” यह वाक्य सुनते ही उसके परिवार और गांव में खौफ फैल गया।
अर्जुन की खोज के लिए गांव के कुछ युवकों ने ठानी। वे रात की चुप्पी में जंगल की ओर बढ़े, जहां पेड़ मानो आत्माओं की गूँज कर रहे थे। हवाओं की सरसराहट में कुछ फुसफुसाहटें छिपी थीं, और हर कदम पर उनके दिल की धड़कनें तेज होती गईं। अचानक, एक पुरानी और जर्जर सी हवेली मिली, जो जंगल की घनी छाँव में दब गई थी। दरवाजा धीरे-धीरे चरमरा कर खुला, और सन्नाटा छा गया। अंदर की दीवारों पर खून के निशान, और अजीब-सा काला धुआं फैला हुआ था।
जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, वहां पर अर्जुन का पुराना शर्ट टुकड़ा मिला, जिस पर कोई स्याही की तरह काले अक्षर उकेरे हुए थे। उन शब्दों का अर्थ कभी स्पष्ट नहीं हो पाया, लेकिन हर कोई सुनिश्चित था कि वे किसी श्राप या काले जादू की जानकारी देते हैं। अचानक, कमरे के गहरे कोने में एक विचित्र धुंध उभरने लगी, मानो कोई साया धीरे-धीरे आकार ले रहा हो। हर कोई कांप उठा, और उस साये में एक अनजाना भय छिपा था जो उनकी रूह को झकझोर रहा था।
जिस रात वे लौटे, उन्हें लगा जैसे कहीं कोई उनके पीछे-पीछे आ रहा था। गांव पहुंचने के बाद भी, जंगल की दहशत उनकी आँखों में झलकी। अर्जुन कहां गया, वह रहस्य पड़ा है। क्या उसे काले जादू ने निगल लिया? या वह सचमुच किसी दूसरी दुनिया में फंसा? गांव में अभी भी उस डर की छाया है, और लोग अब भी सच्चाई जानने से डरते हैं।
जो भी हो, गांव की उन संकरी गलियों और जंगलों में एक साया आज भी है — वह साया जो लौट कर नहीं आया।
सारांश
एक छोटे से गांव में एक युवक, अर्जुन, की रहस्यमय गायब होने की घटना ने पूरे इलाके में खलबली मचा दी। गाँव वाले इसे महज दुर्घटना नहीं मानते, बल्कि इसे काले जादू, प्राचीन शक्तियाँ और पुराने रहस्यमय कड़ियों से जोड़ा गया है। अर्जुन की अंतिम बातचीत और उनके पीछे छोड़ी गई पुरानी गुप्त किताब सुराग देती हैं कि उसके साथ कुछ भयावह हुआ है। उसकी खोज में जा रहे लोगों को भी उन रहस्यमय स्थानों और हवेली में भयंकर अनुभव हुए। इस कहानी के माध्यम से गांव में छिपे अंधकार और भय का एहसास कराया गया है, जहां एक साया — अर्जुन — वापस नहीं आया।
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