
गांव में दफन राज़: वो जो लौट कर नहीं आया…
सर्द हवा के झोंके कभी-कभी उस छोटे से गांव की सुनसान गलियों में ऐसे गुज़रते कि महसूस होता था जैसे कोई अनकहा सच धीरे-धीरे प्रकट होने को है। यह गांव अपनी पुराने किस्सों और रहस्यमय पृष्ठभूमि के लिए प्रसिद्ध था। लेकिन इस बार चर्चा का विषय था एक युवक की गुमशुदगी, जो कभी वापस नहीं लौटा।
विवेक, एक शांत स्वभाव वाला युवक था, जिसे ग्रामवासियों ने आखिरी बार उस प्राचीन खंडहर हवेली के सामने देखा था, जहां अजीबोगरीब भूतिया कहानियाँ प्रचलित थीं। हवेली की टूटी-फूटी खिड़कियां, फर्श पर बने अजीब चिन्ह, और दीवारों पर धुंधली लाल आकृतियां संभावित काला जादू के संकेत की तरह लगती थीं।
विवेक की गुमशुदगी एक बड़ी पहेली बन गई थी। गांव के लोगों ने खोज की, लेकिन न तो कोई सुराग मिला और न ही समधान। कुछ लोगों का मानना था कि हवेली के तहखाने में कोई रहस्यमयी वस्तु छिपी है जो किसी भी कीमत पर बाहर नहीं आ सकती। इस बीच, गांव में गायब होने वाली जानवरों, अजीब आवाजों, और डर का माहौल बढ़ने लगा।
गांव के मंदिर के पुजारी ने उस रात कुछ गुप्त अनुष्ठान किया था, जिनके रहस्य अधिकांश लोगों से छुपे थे। उसकी कथित बातें हवेली में घटने वाली घटनाओं को मनुष्यों की समझ से परे बता रही थीं।
विवरण और रहस्यमय घटनाएं:
- खिड़कियां टूटी हुईं तथा दीवारों पर लाल छपाई जैसी आकृतियां दिखीं।
- हवेली के तहखाने में काला जादू या प्राचीन जादूई किताब होने का संदेह।
- गायब होते जानवर और अजीब आवाजें गाँव में डर का माहौल पैदा करती रहीं।
- युवकों का हवेली में प्रवेश और हत्या की विचलित कर देने वाली चीख।
- कोई भी वापस लौट कर नहीं आया, जिससे रहस्य और गहरा हो गया।
पूर्णिमा की रात, जब कुछ युवाओं ने हवेली में प्रवेश किया, तो उन्होंने तहखाने में एक चमकती हुई जादुई किताब देखी। इसके बाद हवेली से निकली भयावह चीख ने पूरे गाँव को सिहरन में डाल दिया।
गांव वाले अब यह ज़ोर-ज़ोर से कहते हैं कि हवेली सचमुच काला जादू की सीमा रेखा है, जहां मौत और जिन्नों के बीच की खाई है। विवेक की असली हिस्सेदारी क्या थी? क्या वह मारा गया, या उसने काला जादू की किताब में स्वयं को दफन कर लिया? कहीं यह उत्तर तहखाने के साये और उन संकेतों के बीच ही न छुपा हो…
इस रहस्यमय कहानी का अंत अभी तक नहीं हुआ है, और हवेली के काले खिड़कियों में हर रात कुछ ऐसा चमकता और चलता है जैसे वह वापस आने वाला हो, जो कभी गया ही नहीं था।
सारांश
यह कहानी एक छोटे से गांव की प्राचीन हवेली से जुड़ी रहस्यमयी गुमशुदगी की है, जहाँ काला जादू और प्राचीन अनुष्ठानों के चलते अनसुलझे राज छिपे हैं। विवेक नामक युवक अचानक गुम हो जाता है और उसके बाद गांव में भय और अजीब घटनाओं का दौर शुरू हो जाता है। युवक का सच, हवेली की तहखाने की किताब और काला जादू की कहानियां गांववासियों के लिए आज भी पहेली बने हुए हैं।