
गांव में दफन राज़: उस रात जो लौट कर नहीं आया कहानी है 1987 के एक छोटे से गांव की, जहां एक युवक अजय का रहस्यमय ढंग से गायब होना और प्राचीन हवेली में काला जादू का छिपा हुआ शापित राज़ गांववालों की नींद छीनता है। यह कहानी भय और रहस्य से भरी है, जो समय के साथ और गहराती गई।
घटना का प्रारंभ
1987 की देर शाम, अजय और उसके दोस्त गांव की कुख्यात ‘खूनी हवेली’ की ओर गए। उस हवेली में अंधकार की एक ऐसी छाया थी, जिसे आत्मा की गूंज कहा जाता था। जैसे ही अजय हवेली में कदम रखता है, वहां मौजूद रहस्यमय माहौल और अचानक घटित अजीब घटनाएं उसे कभी वापस नहीं आने देतीं।
हवेली के रहस्यमय तथ्य
— हवेली में काला जादू चलता था और जो वहां जाता था, वापस नहीं आता था।
— अजय के जूते हवेली की जमीन पर मिले, पर अजय का कोई सुराग नहीं मिला।
— हवेली तहखाने में एक जादुई किताब मिली जिसमें क्लिष्ट संकेत और रहस्यमयी मंत्र थे।
गांव में उत्पन्न हुआ आतंक
अजय के गायब होने के बाद, गांव में कई अजीब घटनाएं होने लगीं—बच्चें गायब होना, सुनाई न देने वाली आवाज़ों का डर, हवेली के आसपास छायाओं का देखना, और बुजुर्गों द्वारा बताए गए प्राचीन पंथों के काले जादू की साज़िश।
अनसुलझा रहस्य और गांव की प्रतिक्रिया
— पुलिस जांच के दौरान कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
— कांटेदार और रहस्यमयी निशान हवेली के तहखाने में दिखे।
— हवेली की खिड़कियां अपने आप खुलती-बंद होतीं, और एक पुरानी आत्मा की पुकार पूरे गांव में गूंजती रहती थी।
खोज और सवाल
किसने बाज़ार लगाया कि अजय का गायब होना काला जादू का असर था?
क्या वह जादुई किताब फिर से किसी के हाथ लग पाएगी? क्या अजय वापस आएगा या गांव का रहस्य हमेशा के लिए दफन हो जाएगा? ये अनसुलझे प्रश्न गांव के लोगों के मन में कठिन यथार्थ बनकर रह गए हैं।
सारांश
यह कहानी है एक युवक अजय की जो 1987 के उस गांव में प्राचीन हवेली में काले जादू की लकीरों के बीच खो गया। उसका रहस्यमय गायब होना उस गांव की एक और छुपी साज़िश का हिस्सा बन गया, जो आज भी गांव की गली-गली में गूंजता है। प्राचीन पंथों और जादुई किताब ने इस कहानी को एक भयानक मोड़ दिया, जिसकी छाया आज भी उस गांव पर बनी हुई है।