
बारिश की बूँदें धीमे-धीमे मिट्टी पर गिर रही थीं, जब छोटा सा गांव चंद्रपुर अपने रहस्मयी अतीत की चादर के नीचे एक और साया दफन कर रहा था। ये कहानी है आदित्य की, एक युवक जिसे गांव के लोग अब ‘वो जो लौट कर नहीं आया’ के नाम से जानते हैं।
चंद्रपुर का नाम सुनते ही मन में एक पुरानी हवेली की तस्वीर उभरती है, जहाँ अंधेरे कोने एक कोहरे सी हवा बुनते हैं। हवेली की दीवारें बुरी तरह जर्जर हो चुकी थीं, लेकिन जो सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला था, वह था हवेली के तहखाने में छुपा एक पुराना संदूक — जिसके बारे में कहा जाता था कि उसमें ‘काला जादू’ की गूढ़ किताबें छुपी हैं।
आदित्य, जो शहर में पढ़ाई कर रहा था, एक दिन अचानक बिना बताये गांव लौट आया। उसका चेहरा पहले जैसा नहीं रहा, आँखों में किसी छिपे हुए अंधकार की झलक थी। गांव वाले उसके बदलते व्यवहार को देखकर चुप थे, लेकिन धीरे-धीरे लोग यह सुनने लगे कि आदित्य हवेली के तहखाने में जाता है, और वहां कुछ अंधकारमय क्रियाएं करता है।
किसी ने तो यहां तक सुना कि वह ‘पुरानी मान्यताओं’ की उन काली किताबों से जुड़ा था, जिन्हें गांव के बुजुर्ग ‘बदनसीब’ मानते थे। रात के सन्नाटे में हवेली से न जाने किन अजीब आवाजों का गुंजन होता था — मानो पुराने पंथ की कोई घृणित पूजा हो रही हो।
फिर आया वह रहस्यमयी दिन जब आदित्य अचानक गायब हो गया। उसकी वापसी के नाम पर सिर्फ हवेली की खिड़की से छनती हुई ठंडी हवा और तहखाने की एक टूटी हुई लकड़ी की कड़ी ही सबूत थी। पुलिस जांच के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला, गांव में अफवाहें उड़ने लगीं कि आदित्य पर कोई प्रेत या प्राचीन अभिशाप सवार हो गया था।
लेकिन तहखाने में छोड़े गए निशान, जादुई प्रतीक और अधूरे चिराग बताते हैं कि आदित्य का गायब होना सिर्फ एक साधारण हत्या या अपहरण नहीं था। आसपास के जंगलों में बार-बार देखे गए धुंधलके से छिपे चिह्न और बिना भाषा के कुछ सुराग, पूरी पहेली को और भी जटिल बनाते हैं।
यहाँ तक कि कुछ बुजुर्गों का दावा है कि उन्होंने आदित्य को गांव की सीमा के बाहर, उस रहस्यमयी काले साये के साथ चलते देखा, जो यहीं दफन राज़ का प्रतीक है। क्या वह सचमुच वापस आया था? या फिर वह कोई और था, जो आदित्य का रूप धारण कर गांव में आतंक फैला रहा था?
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। गांव की गली में आज भी उस कहानी की आहट सुनाई देती है, जिसने ना सिर्फ एक युवक का भविष्य निगल लिया बल्कि पूरे गांव को उसकी काली छाया तले ला खड़ा किया।
यह कहानी हत्या, रहस्य और काला जादू के बीच फँसी हुई है, जहां हर सवाल अपने जवाब से भी ज़्यादा भयावह रहस्य छुपाए बैठा है। आखिर, आदित्य के साथ वास्तव में क्या हुआ? क्या वह सच में किसी आत्मा या पंथ की गिरफ्त में था? या यह कोई दहशत भरा मिथक ही था? यह सवाल गांव के ताने-बाने में आज भी गुमसुम रहती रातों की तरह गहरे बसे हुए हैं।
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संक्षेप
चंद्रपुर गांव में आदित्य नामक एक युवक की रहस्यमय गायब होने की कहानी है, जिसके पीछे काला जादू और प्राचीन पंथ की संभावना जताई जाती है। गांव में एक पुरानी हवेली और उसके तहखाने में छुपी गूढ़ किताबें इस घटना से जुड़ी हैं। आदित्य का अजीब व्यवहार, रहस्यमय करतूतें, और अंत में उसका अचानक लापता हो जाना इस कहानी की प्रमुख बिंदु हैं। गांव वालों की अंधविश्वास से भरपूर अफवाहें और अधूरे सुराग इस घटना को और जटिल और भयानक बना देते हैं।