
बनारस के पुराने शहर की संकरी गलियों में एक पुरानी हवेली खड़ी है, जिसके बारे में वहां के लोग बड़े अजीब किस्से सुनाते हैं। कहते हैं, उस हवेली में बहुत पहले एक निर्दयी व्यापारी रहता था, जिसकी मौत को लेकर आज भी कई थ्योरी चर्चित हैं। पर हाल की एक घटना ने उस हवेली के बारे में जो रहस्य उजागर किया, वह हर कल्पना से परे था।
यह कहानी है राकेश की, जो दिल्ली से बनारस अपनी लेखन यात्रा पर आया था। राकेश को पुरानी इमारतों और गुत्थियों में गहरा रुचि था। सोशल मीडिया पर उसने उस हवेली की कुछ पुरानी तस्वीरें देखीं और सोचा कि इसका सच जानना आवश्यक है। जब वह पहली बार हवेली के दरवाजे पर पहुंचा, तो शाम के धुंधलके में वहां का माहौल कुछ काला जादू सा प्रतीत हुआ। दरवाज़ा चरमराते हुए खुला, और हवेली के अंदर घुसते ही एक ठंडी हवा ने उसका स्वागत किया।
राकेश ने जैसे ही उस जर्जर सीढ़ी से चढ़ना शुरू किया, उसे ऐसा लगा जैसे कहीं से कोई निगाह उस पर टिकी हो। हवेली के हर दरवाज़े के पीछे अंधेरा और सन्नाटा था। अचानक ऊपर की मंजिल से किसी के रोने की आवाज आई, लेकिन आस-पास कोई नहीं था। उसके दिल में डर बैठ गया, फिर भी उसने दस्तावेज़ों और पुरानी किताबों की तलाश जारी रखी।
वहां उसे एक कबाड़ में छिपी एक काली पुरानी किताब मिली, जिस पर अजीबोगरीब चिह्न बने थे। आस-पास की दीवारों पर खून के निशान भी थे, जो अभी भी ताज़ा लग रहे थे। किताब में लिखा था कि इस हवेली के मालिक ने काला जादू के जरिए अमरत्व पाने की कोशिश की थी। पर ऐसा कुछ हुआ कि वे हमेशा के लिए हवेली के अंदर फंस गए।
रात बढ़ती गई और हवेली की खामोशी भी जैसे बढ़ती गई। अचानक, आस-पास की हर चीज़ हिलने लगी और एक सूक्ष्म आवाज आती रही, ‘वापस आओ…’। राकेश डर के मारे अपने पैरों को जकड़ता चला गया, पर वह वहां से निकल न पाया। दरवाजा बंद हो गया, और सन्नाटा इतना गहरा हो गया कि दूर तक कुछ सुनाई नहीं देता था।
उस रात की घटना के बाद राकेश के करीबियों ने उसे देखा नहीं, और न ही उसकी कोई खबर मिली। गाँव वाले मानते हैं कि हवेली ने उसे अपनी आगोश में ले लिया है, और वह अब उस हवेली का हिस्सा है। आज भी उस हवेली के पास खड़े लोग अजीब से साए और खून की बूंदें देख कर डर जाते हैं।
रहस्य और सवाल
- क्या वह हवेली सच में काला जादू का अड्डा है?
- क्या यह सब एक मृत व्यापारी के बदले हुए प्रेत का खेल है?
- क्या राकेश कभी वापिस आएगा या वह हमेशा के लिए उस हवेली में फंसा रहेगा?
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
सारांश: बनारस की एक पुरानी हवेली में हुए रहस्यमयी घटनाक्रम और गायब हुए राकेश की सचमुच की आपबीती एक भयानक रहस्य प्रस्तुत करती है। जहां काला जादू, प्रेतात्माओं और अनसुलझे राज़ों का घेरा बना हुआ है, वहां इंसानी जिज्ञासा और भय के बीच संतुलन कायम रहता है। यह कहानी हमें उस भयावह रात की याद दिलाती है जो कभी लौट कर नहीं आई।
ऐसी ही रहस्यमयी कहानियों के लिए जुड़े रहिए DEEP DIVES के साथ।