
ठंडी हवा ने ज़ोर से हिलाई थी गांव के पुराने पेड़ों की टहनी, जैसे कोई अनकहा सन्नाटा अपने घातक चेहरे के साथ उस सुनसान सड़क पर छाया हो। उस अंधेरी रात, जब चाँद भी छुप गया था, गांव की हवेली में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। वह हवेली, जो वर्षों से सुनसान पड़ी थी, न केवल खंडहर बन चुकी थी, बल्कि उसके अन्दर छुपा था एक ऐसा राज़ जिसने गति को थमा दिया।
गांव के लोग अब भी उस घड़ी को याद करते हैं, जब रामेश्वर, एक सामान्य किसान, हवेली में घुसा था—और फिर कभी वापस नहीं लौटा। उसकी आवाज़ तक नहीं आई, न कोई मदद का सिग्नल। उसकी पत्नी ने बताया था कि उसने उस दिन रात के बाद अचानक गायब होने से पहले हवेली के आस-पास कुछ अजीब रोशनी और बुदबुदाहट सुनी थी, जैसे कोई मंत्रपाठ हो रहा हो।
हवेली की दीवारों पर सूखे फूल और अधरंग रस्मों के निशान पाए गए, जिन्हें देखकर गांव के बुजुर्ग भी कांप उठे। कहा गया कि पूर्वजों ने हवेली को काला जादू और प्रेतवाधा से बचाने के लिए कई बार पूजा की थी, पर वह सब व्यर्थ साबित हुआ। कुछ लोगों का विश्वास था कि रामेश्वर ने उस रात पंथी गुट के खतरनाक खेल में हिस्सा लिया, जिसे गांव में छुपाया जा रहा था। वे कहते थे कि काला जादू के मंत्र ने उसे हमेशा के लिए उस हवेली में कैद कर दिया।
जैसे जैसे रात गहराई, हवेली से आती फुसफुसाहटें तेज़ होने लगीं; दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। गाँव के कुछ युवक जो उस रात जांच के लिए गए, उन्होंने देखा कि कमरे के कोने में एक पुरानी लकीर अचानक चमकी, मानो कोई गुप्त संदेश हो। उन्होंने चुपके से उसी जगह को नापना शुरू किया… लेकिन तब तक अचानक वहां से एक काली छाया गुज़र गई, जिसने उन्हें बहकाया और वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, पुलिस की भी रहस्यमयी दूरी बनी रही। बिना किसी ठोस सबूत के रामेश्वर की हत्या या गायब होने का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन क्या सच में यह एक सामान्य गायब होना था? या फिर वह हवेली के भीतर एक गहरे, जादूई रहस्य की जंजीरें थीं जो उसे कब और कैसे बंद कर गईं? सवाल अभी भी हवा में तैर रहे हैं, जैसे कोई छिपा साया जिसे देख पाना किसी की मर्जी पर है।
आज भी गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि उस हवेली में कभी भी अकेले मत जाओ, क्योंकि जो एक बार गया, वह लौट कर नहीं आया। और उस रात से, गांव की हवेली की गूंज कहीं दूर तक फैली हुई है, जैसे किसी भयानक कहानी का सन्नाटा।
क्या रामेश्वर सच में खो गया था? या हवेली की दीवारों ने उसे अपनी गूंज में कैद कर लिया? उस रहस्य की तह तक कौन जाएगा, जो आज भी धुंधली परछाईयों के साथ गांव के दिल में धड़कता है? वह साया जो अंदर छिपा है, शायद कभी सामने आएगा… या फिर कभी नहीं।
सारांश
यह कहानी एक छोटे से गांव की पुरानी हवेली में हुई रहस्यमय घटना पर आधारित है, जहाँ एक किसान रामेश्वर रात के समय गायब हो जाता है। हवेली में बताई गई काला जादू और भूतिया गतिविधियाँ इस घटना की गहराई को और भी बढ़ा देती हैं। गाँव के लोग और बुजुर्ग इसे एक भयानक और अनसुलझे रहस्य के रूप में देखते हैं, जो आज भी हवेली की थमी हुई आहटों और छिपी हुई परछाइयों के साथ जीवित है।
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