
Summary: एक पुरानी हवेली जिनमें छुपे खौफनाक रहस्यों और एक गायब हुए पत्रकार की दास्तान है। इस हवेली में काला जादू और अलौकिक ताकतें एक जटिल जाल बुन रही हैं, जो अनसुलझे रहस्यों से भरी हुई हैं।
खूनी हवेली की गूंज: अंदर छिपा साया जो लौट कर नहीं आया
उस ठंडी सर्दी की रात थी, जब देहरी के उस पुराने शहर के एक कोने में खामोशी छाई हुई थी। हवेली, जो सालों से वीरान पड़ी थी, अपने अंदर बंधे हुए अनगिनत राज़ों को फुसफुसा रही थी। ऐसा माना जाता था कि कोई एक छाया हवेली के अंधेरे कमरे में दफन है — वह छाया जो कभी वापस नहीं लौटी।
हवेली की दीवारों पर धूल जमा थी, खिड़कियां टूटी हुईं, और पीछे की ओर एक छोटा सा बाग था, जहाँ अचानक ही अजीबोगरीब निशान उभरे। स्थानीय लोग कहते थे कि यह निशान किसी पुराने काले जादू की निशानी हैं। उस रात, जब हवेली के सामने से गुज़रते हुए पैरों की आहट हुई, तो उस सुनसान जगह पर हवा अचानक रुक सी गई।
बताया जाता है कि एक युवक, जिसकी पहचान एक पत्रकार के रूप में हुई थी, उस प्राचीन हवेली में छुपे रहस्यों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था। उसका उद्देश्य था उन घटनाओं की तह तक जाना, जो कई सालों से लोगों के दिलों में डर और सन्देह का कारण थीं। लेकिन वह लौट कर नहीं आया।
जिस कमरे में वह गया था, वहां मिली एक पुरानी डायरी। पन्नों में काले स्याह धब्बे और डरावनी तस्वीरें थीं, जो किसी अज्ञात रहस्य की ओर इशारा कर रही थीं। उन पन्नों में काला जादू, पंथ और आत्माओं की बातें छिपी थीं। कुछ पन्नों पर तो विदेशी भाषा में शब्द लिखे थे, जो सदियों पुरानी किसी बंद किताब का हिस्सा लग रहे थे।
जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, हवेली के अंदर के दरवाजे चरमराने लग गए। फर्श से उठती ठंडी हवा ने वहां खड़े सभी लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए। एक घटना ने कहानी को और भी भयावह बना दिया: वह पत्रकार गायब था, लेकिन उसके मोबाइल की लोकेशन हवेली में किसी एक कमरे से लगातार ट्रेस हो रही थी।
संदेह के घेरे में कई गांव वाले आए, बताया गया कि इस हवेली में कोई ऐसा राज़ छुपा है जो इसे जीता-जागता दफनाता है। कुछ लोगों ने तो हवा में रहस्यमयी मंत्रों की गूँज सनी, तो कुछ ने अंधेरे में लाल आंखों वाली कोई छाया देखी।
पूरी तहकीकात के बावजूद, उस कमरे का दरवाजा अभी तक बंद है, और जो अंदर था, वह अभी भी उस हवेली में कहीं छुपा हुआ है या इससे भी भयावह – वह अब इस दुनिया में नहीं है। इस कहानी के कई पहलू आज भी अनसुलझे हैं। क्या यह काला जादू था? या कोई और गहरा रहस्य?
जब भी कोई उस हवेली के पास जाता है, एक अजीब सी हलचल होती है, मानो किसी ने कहा हो – “यहाँ से दूर रहो, या तुम्हें भी वापस नहीं आना होगा।” दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
अंधकार की इस परत में छुपा वह अंदेशा कि कौन सा साया लौटकर कभी नहीं आया, आज भी हमें घेरता है। क्या आपके अंदर भी उस हवेली के राज़ को जानने की हिम्मत है? या फिर आप भी उस रहस्यमय साये की तरह कहीं खो जाएंगे?
ऐसी ही रहस्यमयी कहानियों के लिए जुड़े रहिए DEEP DIVES के साथ।