
Summary: एक छोटे कस्बे की पुरानी हवेली में हुई एक व्यापारी की हत्या और उसके बाद गायब शव का रहस्य, जिसमें काला जादू और छिपे रहस्यों का साया मौजूद है।
खूनी हवेली की गूंज: अंदर छिपा सच जो कभी उजागर नहीं हुआ
उस छोटे से कस्बे की धूल छाई सड़क पर रात के पहरे में एक सन्नाटा ऐसा छाया हुआ था, जैसे कोई पुराना राज़ खुद को बुने जा रहा हो। हवेली के टूटे-फूटे दरवाज़े ने जैसे एक बार फिर से चरमरा कर अपने अंदर छुपे भयावह रहस्यों की दहशत फैलाने की तैयारी कर ली हो। इस कहानी की शुरुआत होती है उस शाम से, जब एक आदमी — जिसकी अंतिम झलक ने कस्बे वालों के दिलों में सिहरन पैदा कर दी थी — आखिरी बार उस हवेली की ओर बढ़ा था।
वह आदमी था अर्जुन त्यागी, एक सामान्य सा व्यापारी, पर उस दिन उसकी आँखों में एक अदृश्य भय और बेचैनी थी, जो कभी पहले नहीं देखी गई थी। कहते हैं, हवेली में अवैध काले जादू की प्रथा चल रही थी; पंथ जिसे स्थानीय लोग दशकों से छिपा कर रखा करते थे। अर्जुन की हत्या ने पूरे कस्बे को हिलाकर रख दिया, लेकिन जो सबसे हैरान करने वाला था, वह था शव का गायब होना।
शाम के बाद जब पुलिस ने वहूत की फ्रेम पर तलाशी ली, तो हवेली के अंदर से कुछ उलझे हुए और रहस्यमयी चिन्ह मिले जो किसी पुरानी जादुई किताब के पन्नों से निकले लगते थे। हवेली के पुराने किवाड़ों के पीछे छुपे थे गुप्त कमरे, जिनमें धुंधैले दीवारों पर काले स्याह निशान और जादुई रेखाएं उकेरी गई थीं।
कुछ लोगों का कहना था, “वह जो लौट कर नहीं आया, वह सिर्फ अर्जुन ही नहीं था, वह उस हवेली में दफन एक साया था।” कुछ लोगों ने उस रात हवेली के आस-पास भटकती अजीब सी रौशनी देखी, जो मानो किसी अलौकिक शक्तियों का संकेत देती हो।
मनोवैज्ञानिकों ने इसे सामूहिक भय का नतीजा कहा, लेकिन उन पुराने कथाओं—जहाँ काला जादू और प्रेतात्माएं गूंजती हैं—न तो तर्क मानते हैं न विज्ञान।
आखिरकार, पुलिस और रहस्यमयी झलकें राज़ के बीच उलझी हुई थी—क्या अर्जुन की हत्या का सच हवेली की इन दीवारों के बाहर कभी आएगा? या यह रहस्य हमेशा के लिए धुंध के पीछे दफन रह जाएगा? दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
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