
Summary: उत्तर भारत की एक पुरानी हवेली में गायब हुए पत्रकार की रहस्यमयी घटना, जो काले जादू और भय से घिरी है।
खूनी हवेली की गूंज: अंदर छिपा वह साया जो लौट कर नहीं आया
सन्नाटा। घना अंधेरा। एक सुनसान रास्ता जिसे देख कर ही रूह कांप उठती है। उत्तर भारत के एक छोटे से गाँव में, बुजुर्ग कहते हैं कि उस सड़क के आखिर एक पुरानी हवेली है — जिसे लोग ‘खूनी हवेली’ के नाम से जानते हैं। वर्षों से यह हवेली किसी न किसी रहस्य और भय की कहानियों का केन्द्र रही है। पर क्या यह महज एक लोककथा है? या उसके भीतर छिपा है एक अंधेरा सच, जो आज भी हवा में निगल उठता है?
यह कहानी है उस हवेली के उस बुरे दिन की, जब वहां से एक युवा आदमी लौट कर कभी वापस नहीं आया। अपनी आँखों में डर और दिल में कई सवाल लेकर। उस रात, हवेली में जो हुआ, वह आज भी गाँव के लोगों के जेहन में दहशत की दाश्त है।
साल 2023 की एक ठंडी रात थी जब रवि, एक स्थानीय पत्रकार जो इस रहस्य की तह में जाने के लिए आया था, उस खड़ी-सड़ी हवेली के अंदर कदम रखा। हवेली की दीवारें दरक चुकी थीं, खिड़कियों से हवा की ऐसी आवाज़ आ रही थी जैसे कोई पुरानी आत्मा कराह रही हो। पहली नजर में तो कुछ भी असामान्य नहीं लगा, पर जैसे ही रवि ने अपने डिवाइस की रोशनी से वहां के अंदर झांका, दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
रवि ने उस रात कई कैमरे लगाएं और रिकॉर्डिंग इकट्ठा की, पर जो रिकॉर्ड हुआ, उसे सुनते ही उसके बाल खड़े हो गए। वहां कुछ ऐसी आवाज़ें थीं — फुसफुसाहटें, कोई धीमे स्वर में मंत्र जाप कर रहा था, और कहीं से पत्थर गिरने की आवाज। उसके अलावा तरह के संकेत मिले जो किसी आधे भूले-पिले पंथ या काला जादू की ओर इशारा करते थे।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि कई साल पहले इस हवेली में एक परिवार रहता था जिनके खिलाफ अजीबो-गरीब आरोप लगे थे। कहा जाता है कि वे उस समय के काले जादू में लिप्त थे, और उनकी मौत भी रहस्यमय परिस्थितियों में हुई। हत्या या आत्महत्या? यह सवाल आज तक अनुत्तरित है।
रवि के गायब होने के बाद जब पुलिस और खोजदल ने उस हवेली की जांच की, तो उन्हें वहां किसी की झाड़ियों में कत्ल के निशान मिले। हवेली की जमीन में दबे सूखे पत्तों के नीचे कुछ ऐसे संकेत मिले, जिनका मतलब अंदाज लगाना भी मुमकिन नहीं था।
- कोई पुरानी किताब
- स्याही से लिखे अंधेरे अक्षर
- शेप्टिकल डिजाइन
- अधखुला एक ताबीज़
जिसकी उपस्थिति से यह तय था कि यह मामला सिर्फ एक सामान्य गायब आदमी का मामला नहीं है।
रवि की अंतिम आवाज़ से यह लगता है कि वह उस रात कुछ बड़ा देखने वाला था — कुछ, जो उसने कभी बता न पाया। क्या वह उस हवेली के भीतर किसी गहरे रहस्य में उलझ गया? क्या कोई छिपा साया उसे वहां से बाहर आने ही नहीं देना चाहता था? सवालों के घेरे में घिरी इस घटना ने पूरे गाँव को हिलाकर रख दिया।
इस कहानी में इंसानी मन के अंधकार और अलौकिक रहस्यों के बीच की जंजीरों को तोड़ने की कोशिश है। हवेली की दीवारों के बीच छिपे वो साये, जो सुनसान रात में जैसे अपनी सच्चाई का इंतजार कर रहे हों। एक दफा फिर, उन गलियारों से फुसफुसाहटें सुनाई देती हैं, लेकिन उनकी भाषा कोई समझ नहीं पा रहा।
क्या रवि सच को जान पाया? या वह भी उन लोगों की तरह कहीं गुम हो गया, जो इस हवेली के रहस्यमय इतिहास के शिकार बने? क्या यह कहानी कभी समाप्त होगी, या अनसुनी दास्तानें हम तक सदा बहती रहेंगी?
दरवाज़ा फिर से चरमरा उठा… और हवेली की खिड़कियों से फिर एक ठंडी हवा चली, जो शायद हमसे कुछ कह रही हो। वह साया जो लौट कर नहीं आया, कहीं अभी भी उस खामोशी के भीतर छिपा हो।
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