
Summary: उत्तर भारत के एक छोटे से गांव की पुरानी हवेली में घटी रहस्यमयी घटना ने युवा पत्रकार रवि को कभी लौटकर न मिलने वाली दूरी पर पहुंचा दिया।
खूनी हवेली की गूंज: उस रात जो लौट कर नहीं आया
अंधेरा था फैला हुआ, जैसे कोई भारी काली चादर ने आसमान को चारों ओर से घेर लिया हो। उत्तर भारत के एक छोटे से गांव में, जहां हर घर की छत पर पुरानी कहानियों के साए तैरते रहते हैं, एक ऐसी घटना ने लोगों के होश उड़ा दिए कि आज तक उसका हल नहीं मिल पाया। गांव के बाहर खड़ी एक पुरानी हवेली, जिसे स्थानीय लोग डरावनी दृष्टि से देखते थे, उसी हवेली में एक ऐसा राज़ दफन था जो समय के साथ और गहराता गया।
हर शाम सूरज की किरने जैसे-जैसे कम होतीं, हवेली की खिड़कियों से अजीब-अजीब आवाजें आतीं, मानो कोई अजीब शोर मचा रहा हो। गांववालों ने कई बार देखा कि हवेली के अंदर से कभी-कभी रहस्यमयी रोशनी झलकती, पर जब वहां कोई जाता तो अंदर सन्नाटा होता। वे कहते हैं कि हवेली के पिछले मालिक की मौत पर कुछ गुप्त काले कर्म हुए थे। उस रात की बात आज तक गांववालों के दिलों में दहशत कायम रखती है।
उस रात, जो रात में गांव का सूरज भी छिप गया, रवि नाम का युवक अपने दोस्तों के साथ उस हवेली की जांच करने निकला था। वह एक जिद्दी पत्रकार था, जो असली सच्चाई खोजने के लिए किसी भी हद तक जाता था। हवेली के अंदर कदम रखते ही उसे एक ठंडी हवा का झोंका मिला जिसने उसकी रूह तक थर्रा दी। धुंधली रोशनी में उसने कुछ अजीब चित्र देखे, जो सामूहिक पंथ और काले जादू के निशान से भरे हुए थे। जैसे हवेली की दीवारें किसी प्राचीन श्राप की कहानियां कह रही हों।
जैसे-जैसे वह जमीन के नीचे बने तहखाने में उतरा, दिल की धड़कन तेज होने लगी। तहखाने में उसका सामना एक पुराने, जंग लगे ताले से हुआ, जिसे खोलना आसान नहीं था। लेकिन जब उसने उसे सर्जना की, तभी अचानक हवेली की घंटी की आवाज़ गूंजने लगी, और एक गहरी आहट ने पूरे माहौल को घेर लिया। वहां से धुंध में एक साया निकलता दिखा जो खत्म ही नहीं हो रहा था। रवि ने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा अचानक बंद हो गया। दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
उसके दोस्तों ने बाहर से喊 किया, पर अंदर से कोई जवाब नहीं आया। हवेली के बाहर लोग जमा होने लगे, पर अंदर से कोई आवाज़ नहीं। उन्होंने कई पुलिस वालों को बुलाया, पर तहखाने में कुछ भी सुराग नहीं मिला। रवि, जो हवेली में गया था, वापस नहीं लौटा। कुछ दिनों बाद, हवेली के बाहर अचानक से खून के धब्बे पाए गए, जो बिना किसी स्रोत के पत्थरों पर फूट पड़े थे। गांव में अफवाहें फैल गईं कि रवि पर किसी काले जादू के पंथ ने हमला किया है।
इस रहस्यमयी घटना ने गांव के लोगों के मन में भयंकर डर और शक पैदा किया।
- क्या रवि सच में हवेली की इस खूनी गूंज में खो गया था?
- या उस रात उस हवेली में कुछ ऐसा हुआ था जो इंसानी समझ से परे था?
- क्या हवेली के पुराने काले रहस्यों की परतें अब भी खुलेगीं या इसी तरह खामोशी में दब जाएंगी?
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि वह हवेली किसी दोषपूर्ण आत्मा का निवास स्थल है, जो हर साल एक बार भूली हुई आत्माओं को बुलाती है। एक रात जिसका कोई वापस नहीं आता। क्या रवि भी उन खोई हुई आत्माओं में से एक बन गया?
हर पहलू में डर, शक और रहस्य एक साथ बुने हुए हैं। यह कहानी सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि कभी-कभी कुछ खतरनाक राज़ बेहतर हैं छुपा रहने के लिए। आपके मन में भी सवाल उठता होगा — क्या वास्तव में ऐसे रहस्य होते हैं जिन्हें उजागर नहीं करना चाहिए?
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