
जैसे ही सूरज की आखिरी किरणें उस छोटे से, सुनसान गांव की मिट्टी पर पड़ती थीं, एक अजीब सी सन्नाटा छा जाता था। लोग कहते हैं कि इस गांव की हवाओं में एक अंधेरा साया घूमता है, जो किसी न किसी को अपने अंदर छुपा लेता है। यह कहानी है उसी गांव की, जहां तीन महीने पहले एक युवक अचानक गायब हो गया था — बिना किसी निशान के, जैसे वो धरती में ही समा गया हो।
अविनाश, एक सामान्य युवक, जो रोज़ अपने खेत में मेहनत करता था, एक दिन अचानक से घर नहीं लौटा। पहले लोग बड़े आराम से सोच रहे थे कि कहीं काम में व्यस्त होगा, पर जब दो दिन बीत गए और कोई पता नहीं चला, तो धीरे-धीरे गांव में अफ़वाहों का बाजार गर्म हो गया। कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने उस दिन शाम को उसकी ओर से एक अजीब सी दबी-धीमी आवाज़ें सुनी थीं, जैसे कोई मंत्र जप रहा हो।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि वर्षों पहले इस इलाके में काला जादू और पुरानी मान्यताओं का बहुत प्रभाव था। एक पुरानी हवेली है, जो गांव के अंतिम छोर पर खड़ी है — सदियों से बंद और वीरान। कहते हैं कि वहां से अक्सर रात को कोई रहस्यमयी रोशनी निकलती है, और कभी-कभी दूर से किसी डरावनी आवाज़ के संकेत मिलते हैं।
जब अविनाश गायब हुआ, तो परिवार और गांव के लोग उसी हवेली की तरफ शक करने लगे। एक दिन एक आदमी, जो अंधेरे और जादू-टोने का बड़ा शौकीन था, ने हवेली में घुसने की हिम्मत की। उसने वहां से कुछ पुराने कागज और अनदेखी किताबें निकालीं, जिनमें काला जादू और पंथ संबंधी अजीबोगरीब संकेत और मंत्र लिखे थे।
शाम के वक्त, हवेली से निकलती हुई वो धुंध और ओकराती हवा, जैसे किसी अनसुलझे रहस्य की गवाही दे रही हो। उस आदमी ने बताया कि हवेली के अंदर एक खास कमरा था, जहां दीवारों पर लाल रंग से कुछ विचित्र आकृतियां बनी थीं। उसने उस कमरे के कोने में एक छोटी सी गुड़िया भी पाई, जिस पर लाल धागे से बंधा हुआ था एक पुराना तांबे का ताबीज। उसे देखकर एक ठंडी सनसनाहट उस आदमी के शरीर में दौड़ गई।
गांव के कुछ लोगों का मानना था कि ये पंथवाली किताबें, काला जादू के वो रहस्य बताएंगी, जो अविनाश के गायब होने के पीछे का असली कारण हैं। फिर एक रात, गांव में अचानक बगल के जंगल से अजीब सी चीखनियां गूँजने लगीं। कुछ युवकों ने उस दिशा में जाकर देखा तो पाया कि वहां जमीन के ऊपर कुछ लाल निशान और जलाइ हुई राख बिखरी हुई थी। ये सब देखकर गांव वालों का दिल बैठ गया।
खुलासे के नाम पर जो सामने आया, वो किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं था। अविनाश के कमरे के दरवाज़े पर एक लाल रंग का चिह्न बना था, जो शायद किसी प्राचीन पंथ का प्रतीक था। और हवेली की दीवारों पर बनी वे अजीब आकृतियां किसी जादुई तंत्र के हिस्से लगती थीं। कुछ लोगों का कहना था कि अविनाश खुद उन काला जादू की किताबों में उलझ गया और शायद स्वयं ही उस जादू का शिकार हो गया।
लेकिन सच क्या था? क्या अविनाश वास्तव में गायब हो गया था या फिर उसने अपने आप को उस रहस्य में डूबा दिया था? गांव के कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें कई बार हवेली के आसपास उसकी झलक मिली, अचानक से गायब हो जाने से पहले की तरह। पर जैसे ही वे उसके करीब पहुँचते, वह गायब हो जाता।
क्या यह कोई अलौकिक घटना थी? या फिर किसी सोची-समझी साज़िश का हिस्सा? और सबसे बड़ा सवाल – क्या इस सब में कोई जालसा था, जो गांव की खुद की रूहों को भी डराता हो?
जैसे ही हम इस कहानी के अंतिम पन्नों को पलटते हैं, हवेली के बाहर आसमान में बादलों के बीच चमकता हुआ एक रहस्यमयी साया अचानक नजर आता है, जो हमें बताता है कि कुछ राज़ दफन होना पसंद करते हैं… और शायद वे कभी उजागर न हों।
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
सारांश
गांव में दफन राज़ एक छोटे से गांव की रहस्यमयी कहानी है, जहां एक युवक अविनाश अचानक गायब हो जाता है। गांव में पुरानी हवेली, काला जादू, और रहस्यमयी घटनाएं इस कहानी में समाहित हैं। अविनाश के गायब होने के बाद गांव वालों ने उस हवेली और उसमें छुपे रहस्यों की जांच की, जहां से प्राचीन पंथ और जादू-टोना से जुड़े संकेत मिले। कहानी एक ऐसी पहेली छोड़ जाती है, जिसका समाधान आज तक नहीं हो पाया, और यह बताते हुए खत्म होती है कि कुछ राज़ हमेशा दफन रहना चाहते हैं।
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