गांव में एक युवक सुरेश की रहस्यमयी गायब होने की कहानी गहराई से जुड़ी है, जिसमें काला जादू, पंथ और पुरानी हवेली के गहरे रहस्य शामिल हैं। 2019 की एक ठंडी रात, जब पूरा गांव शांत था, सुरेश अचानक गायब हो गया। उसकी तलाश में कई प्रयास हुए, लेकिन केवल सूनी गलियां ही मिलीं। उसकी निजी वस्तुएं बिना छेड़े ही वहीं मिलीं, जिससे शक हुआ कि कुछ सामान्य नहीं है।
सुरेश के गायब होने के दूसरे दिन पुराने मंदिर के पास काला धुआं देखा गया, जिसमें खून की गंध और अजीब सी फुसफुसाहटें भी मिलीं। गांव वालों ने काला जादू और पंथ के सम्मिलन की आशंका जताई। ऐसे समय में, गांव के पुराने कुएं के पास एक रहस्यमयी नक़्क़ाशी वाला संदूक मिला, जिसमें पुरानी भाषा में अलौकिक रहस्यों के संकेत थे।
संदूक को खोलने के बाद मिली पांडुलिपि में सुरेश के भविष्य और गायब होने के पीछे के कारणों का ज़िक्र था। पांडुलिपि में छिपी हुई ताकत और अज्ञात पंथ की छापें भी देखी गईं। सुरेश की आख़िरी जगह था गांव की एक पुरानी हवेली, जहां खून के निशान और दहकती आग की सुगंध अभी भी मौजूद है। हवेली में घुसने वालों के अनुसार वहां से आवाज़ें आती हैं जो वापस लौटने से मना करती हैं।
अपने भीतर के भय के कारण गांव के बुजुर्ग भी उस जगह से बचते हैं। सुरेश के गायब होने के बाद कई अन्य लोगों का भी पता नहीं चला। इस रहस्य से जुड़े कई सवाल आज भी अनुत्तरित हैं:
मुख्य प्रश्न:
- क्या हवेली सच में किसी काले जादू का केंद्र है?
- क्या सुरेश की आत्मा अभी भी वहां भटक रही है?
- क्या ये डर केवल मनोवैज्ञानिक है या असल में कुछ छिपा है?
- क्या रहस्य कभी सुलझ पाएगा या केवल भय और अंधकार बढ़ेगा?
यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि रहस्यों की शुरुआत भी है। गांव के दफन राज़ आज भी जीवित हैं, और उस हवेली के आस-पास अजीब परछाइयाँ, धीमी आवाज़ें और रहस्यमयी सन्नाटा मंडराता है।
सारांश: यह कहानी उस युवक सुरेश के गायब होने की है, जिसमें काला जादू, पंथ और पुरानी हवेली के काले रहस्य शामिल हैं। गांव की दहलीज पर छिपे ये राज़ आज भी किसी के सामने खोलने को बेकरार हैं।
