
एक छोटे से गाँव में एक युवक की रहस्यमयी और अलौकिक घटनाओं से भरी गुमशुदगी की कहानी, जो काले जादू और अनसुलझे रहस्यों को उजागर करती है।
रहस्यमयी छोटी सी शुरुआत
साँझ के अवसादमय क्षण में, जब सूरज की आखिरी किरणें धुंध में खो गई थीं, गाँव में एक अजीब सन्नाटा छाया था। वहाँ की गलियों में डर की एक अनदेखी परछाई फैली हुई थी, मानो कोई छुपा हुआ सच रात की छाया में घूर रहा हो।
गिरजा की गुमशुदगी
गिरजा, गाँव का युवक, कुछ दिनों से विचित्र व्यवहार कर रहा था। उसकी आँखों में अनजानी सी चमक थी, जो जलती हुई आग जैसी नजर आती थी। एक शाम वह अचानक गायब हो गया। तलाश के बीच कोई सुराग नहीं मिला, पर लोगों की चर्चा में उसका नाम हमेशा रहता।
रहस्यमयी बूढ़े से मुलाकात और किताब
गाँव के मुखिया के अनुसार, गिरजा ने हाल ही में काले वस्त्र पहने एक बूढ़े से मुलाकात की थी। उस बूढ़े की आँखों में अलौकिक कैद थी। उसने गिरजा को एक प्राचीन और छुपी हुई किताब दी, जिसमें काले जादू और रहस्यों का भंडार था।
गिरजा ने किताब पढ़ना शुरू किया, जो खतरनाक और बदलती भाषा में लिखी थी, जिससे एक जहरीली खुशबू और भय का माहौल पैदा हो गया।
काले जादू की हकीकत और गाँव की अफवाहें
कुछ दिनों बाद, गाँव में सुनाई देने लगी थीं गिरजा की आवाज़ें, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। उसके कमरे से तेज़ रोशनी निकलती और दरवाज़ा चरमराने लगता। जब खोजा गया, तो वह कमरे में नहीं था, पर जमीन में ताज़ा मिट्टी के निशान थे, मानो कोई छुपा हो।
अंत में
यह माना जाता है कि गिरजा उस काले जादू की किताब में खो गया और उसकी आत्मा एक ऐसी दुनिया में चली गई जहाँ से वापसी संभव नहीं। आज भी उस हवेली के पास से गुजरते हुए ठंडी हवा महसूस होती है और कहीं दूर से उसकी रहस्यमयी आवाज़ सुनाई देती है — “मैं यहाँ हूँ… लेकिन नहीं हूँ।”
मुख्य प्रश्न
- क्या वास्तव में गिरजा को काले जादू ने निगल लिया?
- वह बूढ़ा कौन था जिसने उसे किताब दी?
- उस किताब में क्या खौफनाक रहस्य छुपा था जो कभी उजागर नहीं हो सका?
- क्या यह सब एक बड़े षड़यंत्र का हिस्सा था?
सन्नाटा और रहस्यों से भरी इस कहानी ने गाँव की हवाओं और लोगों की सोच को गहरा कर दिया है, जो आज भी खौफ और उत्सुकता के बीच धुंधली होती दिखती है।