2030 तक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) स्वायत्त साइबर अपराधों का एक नया युग लेकर आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि AI तकनीक में तेजी से विकास साइबर अपराधियों को अधिक शक्तिशाली और प्रभावी बना रहा है। इस नई तकनीक के माध्यम से अपराधी बिना मानव हस्तक्षेप के जटिल और संगठित साइबर हमले कर सकते हैं।
ऐसे हमले न केवल डेटा चोरी को आसान बनाएंगे, बल्कि डिजिटल सुरक्षा प्रणालियों को भी चुनौती देंगे। सरकारों और कंपनियों के लिए इस खतरे से निपटना जरूरी है। जो संगठन अभी से AI को केवल जोखिम न समझकर इसे अपने पक्ष में करेंगे, वे आने वाले दशक में डिजिटल सुरक्षा के मामले में बेहतर स्थिति में रहेंगे।
AI का सही उपयोग डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने में सहायक हो सकता है, जिससे साइबर अपराधियों का मुकाबला किया जा सके। भारत में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ इस पर गहराई से काम कर रहे हैं ताकि इस स्वायत्त खतरे से निपटा जा सके।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस खतरनाक युग के लिए तैयार रहना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।
